समय चक्र क्या है, इसको समझने के लिए,समय चक्र को जानने से पहले आपको पहले यह जानना पड़ेगा कि समय क्या होता है. क्योंकि समय और समय चक्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. समय का अर्थ होता है कोई भी चीज जो लगातार चलती रहे. जैसे सूर्य और चंद्रमा लगातार चल रहे हैं.

Article-1
समय को असाधारण बलवान माना गया है। शब्द “काल चक्र” समय चक्र की निरंतर प्रकृति को दर्शाता है। काल केवल समय के चल रहे चक्र को संदर्भित करता है। समय के इस चक्र के दौरान प्रत्येक मनुष्य अच्छे और बुरे समय का अनुभव करता है। हालांकि, जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो कठिन समय में डटे रहते हैं। दूसरी ओर जो व्यक्ति बुरे समय को अपने वश में कर लेता है। वह फिसल जाता है।
प्रकृति द्वारा प्रदान की जाने वाली चीजों को समझना हमेशा से मानवीय जिज्ञासा को बढ़ाता रहा है। इसी वजह से आपने कभी-कभी जिज्ञासावश सोचा होगा कि ये दिन और रात कैसे बनते हैं। समय कैसे निर्धारित होता है? इस मौसमी बदलाव का क्या कारण है? यह समय का क्या हिसाब है? समय चक्र कैसे काम करता है? इस तथ्य के बावजूद कि मनुष्य ने अपनी सुविधा के अनुरूप इसे विभिन्न नाम दिए हैं। तथापि सनातन प्रथा के अनुसार हम यहां समझने का प्रयास करेंगे ।
भारतीय विद्वानों के अनुसार समय की गणना हमारे प्राचीन विद्वानों ने कालचक्र का वर्णन करते समय परमाणु को समय की सबसे छोटी इकाई के रूप में संदर्भित किया। वायु पुराण के अनुसार, जब दो परमाणु एक साथ आते हैं तो एक अणु बनता है। इससे हमें इसे समझने में मदद मिलती है।
3 अणु से 1 ट्रेसरेणु 3 ट्रेसरेणु से 1 त्रुटि 100 त्रुटि में से 1 छिद्र 3 वेध से 1 प्रेम 3 प्रेम एक निमेश, या एक क्षण बनाता है। इसी प्रकार तीन निमेषों से एक काष्ट, 15 काष्ठों से एक लघु और 15 लघुओं से एक नादिका, दो नादिकाओं से एक मुहूर्त, 6 नादिकाओं से एक प्रहर और आठ प्रहर मिलकर एक निरंतर बनाते हैं।
दक्षिणायन और उत्तरायण क्या हैं?
दो पक्ष होते हैं, जिनमें से एक महीने में 15-15 दिन होते हैं और इसे शुक्ल पक्ष और दूसरे को कृष्ण पक्ष के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार एक वर्ष में दो कणों को देखा जाता है – दक्षिणायन और उत्तरायण।
वैदिक काल में उनके नाम के लिए महीनों का चुनाव किस प्रकार किया जाता था?
दो पक्ष होते हैं, जिनमें से एक महीने में 15-15 दिन होते हैं और इसे शुक्ल पक्ष और दूसरे को कृष्ण पक्ष के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार एक वर्ष में दो कणों को देखा जाता है – दक्षिणायन और उत्तरायण।
वैदिक काल में उनके नाम के लिए महीनों का चुनाव किस प्रकार किया जाता था?
वैदिक काल में महीनों का नाम ऋतुओं के नाम पर रखा गया है। हालाँकि, समय के साथ, इन नामों को नक्षत्रों के अनुसार बदल दिया गया। जिनमें चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रवण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन शामिल हैं। इसके अलावा इस श्रेणी में शामिल हैं विद्वानों ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक क्षण की गणना कैसे की जाती है। दिनों का नाम ग्रहों के नाम पर रखा गया है, और अवधियों को भी विशिष्ट नाम दिए गए हैं। शनि, रवि, सोम (चंद्रमा), मंगल, गुरु, शुक्र.
मानव और दिव्य वर्ष क्या हैं?
प्राचीन साहित्य की काल गणना में भी मानव वर्ष और दैवीय वर्ष का उल्लेख मिलता है। मानव वर्ष लोगों का समय है। जिसे कुल मिलाकर 360 दिनों के रूप में देखा जाता है। आवश्यकता के अनुसार दिन घटते-बढ़ते रहते हैं। जिसमें छह महीने दिन का उजाला और छह महीने अंधेरा रहता है। किसी भी स्थिति में, 360 वर्ष के लोग देवताओं का एक वर्ष बनाते हैं।
प्राचीन साहित्य की काल गणना में भी मानव वर्ष और दैवीय वर्ष का उल्लेख मिलता है। मानव वर्ष लोगों का समय है। जिसे कुल मिलाकर 360 दिनों के रूप में देखा जाता है। आवश्यकता के अनुसार दिन घटते-बढ़ते रहते हैं। जिसमें छह महीने दिन का उजाला और छह महीने अंधेरा रहता है। किसी भी स्थिति में, 360 वर्ष के लोग देवताओं का एक वर्ष बनाते हैं।
Article-2
सूर्य और चंद्रमा और अन्य ग्रह के चलने से जो, बदलाव उत्पन्न होते हैं, और उसका प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है जिससे कोई भी प्राणी कुछ करें या ना करें लेकिन उस पर प्राकृतिक रूप से परिवर्तन होता रहता है, इस परिवर्तन के बीच जो, बिंदु है उसे समय कहा जाता है. इसको आप विस्तार में समय चक्र में समझ जाएंगे.
मित्रों समय चक्र क्या है?
- समय चक्र समय चक्र जिसको काल भी बोला जाता है, जैसे ही साधारण अर्थों में लोग घड़ी के घूमते हुए कांटे को समय चक्र भी कह देते हैं यह एक तरफ से सही भी है क्योंकि यह समय चक्र का एक छोटा सा रूप है जो यह बताता है कि समय चक्र घूम रहा है क्योंकि सूर्य और चंद्रमा के गति के अनुसार ही घड़ी का निर्माण किया गया है.
- समय चक्र को समझने के लिए इसमें थोड़ा आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझना पड़ेगा या आध्यात्मिक दृष्टिकोण को जोड़ना पड़ेगा तभी इसको समझा जा सकता है.
- इस संसार में जीवन को लगातार चलाने के लिए या जीवन में नवीनता बनाए रखने के लिए प्रकृति ने समय चक्र का निर्माण किया है.
- सूर्य और चंद्रमा की गति से, और सूर्य के चारों ओर जो नवग्रह चक्कर लगा रहे हैं, और हमारा सौरमंडल मिल्की वे का चक्कर लगा रहा है, और मिल्की वे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहा है, इनके लगातार चलने से जो इनका प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है जिसके कारण प्राणियों में बचपना बुढ़ापा आदि आता है उसे ही समय चक्र के अंतर्गत लिया जाता है क्योंकि यदि समय का चक्र रुक जाए तो बूढ़ा व्यक्ति बुढा रहेगा और जवान व्यक्ति जवान.
- प्रकृति के इन बनावट से जो लगातार परिवर्तनशील है और परिवर्तन होता रहता है उसे ही हम समय चक्र कहते हैं
समय चक्र कैसे काम करता है?
- मित्रों समय चक्र कैसे काम करता है इसको समझा पाना थोड़ा कठिन है, समय चक्र का सबसे बड़ा जो आधार है वह हमारा सूर्य है जो लगातार इस दुग्ध मेखला के चक्कर लगा रहा है और दुग्ध निकला सारे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रही है.
- इसको इस प्रकार समझिए मान लीजिए आपके पास कोई एक वस्तु है जिसे आप एक चुंबकीय शक्ति से या किसी विशेष शक्ति से अपनी ओर खींच रहे हैं और वह चीज अपनी ओर खींचती हुई चली जाती है और खींचते खींचते बड़ी होते होते एक समय ऐसा आता है कि वह नष्ट हो जाती है.
- उसके नष्ट होने के बाद कुछ और नई चीजें जो छोटी है वह बड़ी हो जाती है समय चक्र भी इसी प्रकार काम करता है.
- हमारे सूर्य के चारों ओर घूमने से एक विशेष प्रकार का खिंचाव उत्पन्न होता है इसे एक चुंबकीय शक्ति की तरह भी आप समझ सकते हैं जैसे कि पृथ्वी अपने दूरी पर घूम रही है लेकिन हमको यह घूमती हुई प्रतीत नहीं होती उसी प्रकार सूर्य की चुंबकीय शक्ति सभी प्राणियों को अपनी ओर खींच रही है.
- इसी प्रकार सूर्य के घूमने से जो विशेष शक्ति उत्पन्न हो रही है वह प्राणियों को खींचती है उनके खींचने से ही कोई भी चीज लगातार चलाएं मान रहती है जैसे आप किसी भी चीज को जबरदस्ती खींचकर बढ़ा कर दें और एक समय आते-आते वह नष्ट हो जाएगी.
- उसी प्रकार प्रकृति द्वारा बनाई हुई या विशेष शक्ति जो सूर्य के घूमने से उत्पन्न होती है वह प्राणियों पर ऐसा प्रभाव डालती है कि उनकी लगातार वृद्धि होती रहती है उस वृद्धि के फलस्वरूप प्रकृति ने ऐसा निर्माण किया है कि कोई भी चीज बढ़ते बढ़ते एक समय नष्ट हो जाती है.
- इस प्रकार समय चक्र काम करता है

समय चक्र अनंत ब्रह्मांड तक जुड़ा हुआ है?
- समय चक्र क्या है,समय चक्र अनंत ब्रह्मांड तक जुड़ा हुआ है इसको आप उदाहरण के फल स्वरुप आज के वैज्ञानिक के मतों के अनुसार भी समझ सकते हैं.
- हमारा सूर्य का घूमना हमारी पृथ्वी पर समय चक्र बनाता है और हमारे सौरमंडल का घूमना हमारी दुग्ध मेखला पर समय चक्र बनाता है और हमारी दुग्ध मेखला का घूमना हमारी ब्रह्मांड का समय चक्र बनाता है और यह एक दूसरे को समय चक्र बनाते बनाते यह लगातार एक विशेष प्रकार के खिंचाव शक्ति उत्पन्न करते हैं और यह लगातार बढ़ते ही रहता है और जैसा कि आप लोग जानते हैं समय के साथ ब्रह्मांड उत्पन्न भी होते हैं और नष्ट भी होते हैं इसी प्रकार समय चक्र चलता ही रहता है. और चलता ही रहेगा.
- समय चक्र के बारे में हमारे वेदों में विस्तार से वर्णन है लेकिन आज के समय में इन वेदों के बारे में ढूंढ पाना संभव ही नहीं है क्योंकि वेदों में जितना ज्ञान था वह पूरा नष्ट हो चुका है वेदों को नष्ट किया जा चुका है.
समय चक्र के बारे में कुछ रोचक बातें?
- जैसा कि आप लोग जानते हैं पहले के समय में हमारे ऋषि मुनि कई हजार वर्षों तक जीते थे जैसे साधारण मनुष्य 100 वर्ष की आयु तक ही जी पाता है लेकिन हमारे ऋषि मुनि कैसे हजारों साल जीते थे इस प्रश्न का उत्तर भी समय चक्र में दिया जा चुका है.
- आप इसे इस प्रकार समझ सकते हैं यदि कोई योग या विशेष कोई माध्यम से सूर्य द्वारा उत्पन्न जो खिंचाव है कहने का मतलब लगातार जो बढ़ने की प्रवृत्ति है उसको यदि विशेष बल योग्य औषधि से रोक ले तो व्यक्ति बुढा नहीं होगा, कहने का मतलब व्यक्ति ने जिस स्थिति में इस पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया उसका शरीर उसी अवस्था में रुक जाएगा, मित्रों यह अत्यंत प्राचीन और दुर्लभ ज्ञान ऋषि मुनि परंपरा से लिया गया है.
आप समज गए होंगे की समय चक्र क्या है? यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो शेयर करें
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